Saturday, June 18, 2011

नौकरी

घर वाले दबाव दे रहे हैं प्रत्यक्ष नहीं परोक्ष रुप से। उम्र के छब्बीसवें पड़ाव पर पहुँच कर अब लगता है कि शायद कितना भी पढ़ लो पर अगर ढ़ंग की नौकरी नहीं मिली तो सब बेकार सारे दोस्त, परिवार और सबसे जालिम समाज धीरे-धीरे अपना रौद्र रुप मेरे सामने दिखा रहा है। ऐसा नही है कि मुझमें कोई कमी है या मैं कोशिश नहीं कर रहा। पहले मैं अपने बारे में बता दूं मैं मीडिया का छात्र हूँ और पटना से इसकी पढ़ाई कर रहा हूँ। अंतिम सेमेस्टर चल रहा है और अभी से कोशिश में लगा हुआ हूं कि कहीं काम मिल जाए पर मैं जिस क्षेत्र से जुड़ा हूँ उसकी असलियत मैने देख ली। अभी हाल हीं में मैने देश के एक जाने माने और काफी नामी न्यूज चैनल में इन्टर्नशिप खत्म की है। सच मानीए सिर्फ दो महीने में ही सारी असलियत सामने आ गई।